Rajani katare

Add To collaction

डायरी ---- भाग - 13 हलचल ए दिसम्बर

लेखनी डायरी चैलेंज
विषय- दिसंबर
शीर्षक- "हलचल ए दिसंबर"

माह दिसंबर की ठंड के तो कहने ही क्या....?
हाड़ मांस कंपा देती है... बत्तीसी बजने लगती है,
पूस और माघ की ठंड तो अपने नबाव पर रहती है,
इस माह में लोग पूस के रविवार पर उपवास करते हैं इसमें सूर्य भगवान की आराधना करी जाती है,
साल 2021 लग नहीं रहा था... दिसंबर में इतनी अधिक ठंड पड़ेगी.....

गरीब तबके की हालत खराब हो जाती है.... 
कड़ाके की ठंड जब पड़ती है.....
लकड़ी, कोयला सब इतना मंहगा हो चुका है 
कि मध्यम श्रेणी के भी बस की बात नहीं है.....
पहले घरों में सिगड़ी चूल्हे जलते थे उन्हीं पर 
खाना बनाया जाता था.....
जिससे घरों में तपन बनी रहती थी.....
वैसे नगर निगम अपने अपने स्तर पर गली 
चौराहों पर अलाव की व्यवस्था करती है.....

कोरोना की दहशत गयी नहीं.....अभी पर बहुत 
राहत है...कहते हैं अब ओमोक्रोन की सुगबुगाहट चल रही है... पर निश्चित तौर पर कुछ कहा नहीं 
जा सकता कब क्या हो.....

क्रिश्चियन मिशनरी के अलावा ओर भी लोग 
25 दिसंबर को धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं....
हमारा भारत धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है....
सभी धर्मों के लोग सभी त्यौहार मनाते हैं....
लोग सांता बनकर बच्चों को गिफ्ट टाफी आदि बांटते हैं, बच्चों को खुशियां देने के लिए.....
जो बहुत अच्छी बात है.....

31 दिसंबर को प्रदोष व्रत पूस के महिने में बहुत महत्वपूर्ण है... इस दिन श्रद्धालुओं ने शिवजी 
और हनुमान जी की पूजा-अर्चना कर बजरंग 
बाण का पाठ करा...जिसका अन्नत पुण्य फल मिलता है......
दान पुण्य भी करना चाहिए आज के दिन...
उड़द की दाल दान करने का विशेष महत्व है...

साल के अंत में मतलब 31 दिसंबर 2021 
को जाने की बिदाई..... 
और नये साल की शुरुआत..... 
मतलब 1जनवरी 2022 को खुश होकर हम स्वागत करते हैं.....
उपहार स्वरूप समारोह आयोजित करके दोनों 
का ही मान बढ़ाते हैं.....
अंत और आरम्भ जीवन के दो पहलू हैं.....
आना और जाना दोनों ही निश्चित हैं.....
ये तो समय का चक्र है जो निर्बाध गति से 
चलता है.....
मेरी स्वरचित रचना:--
               "समय का पहिया"

              "समय का पहिया" समय चक्र

अनवरत घूम रहा है, समय का चक्र,
जीवन मरण का मिला, समय का चक्र,

बाँध रखा है ईश्वर ने, नियम के बंधन में,
आना जाना होगा इस, संसार सागर में,

चांदनी रात में, क्या चाँद सितारे,
प्रातः की बेला में, सूर्य रश्मियों का आना,

सूर्य रश्मियों की छुअन से, फूलों का खिलना,
मंद मंद पवन के झोंके, बहारों का मचलना,

सुबह-सुबह पंछियों का, कलरव करना,
चराचर जीव जगत में, हलचल होना,

घूम रहा है अनवरत, समय का पहिया,
भूले से भी रुक न जाये कभी, समय का पहिया,

रसातल में होगी धरती, अंधकार होगा चहुंओर,
न चांँद न तारे ओर, न होगा आसमान,

हाहाकार मचेगा दुनिया में, चहुंओर,
चलता रहे ये जीवन चक्र, नियम से अपने,

जादुई शक्ति है, जिसने रचा ये संसार,
नाम दिया ईश प्रभु, जिसकी महिमा अपरंपार ।

                ***********

🙏🌹जय श्री कृष्णा🌹🙏

        --:रजनी कटारे:--
          जबलपुर म.प्र.

   3
0 Comments